तुम वसंत हो मेरे , खिलते हुए गुलाब की तरह महकाते हो घर को मेरे। तुम वसंत हो मेरे , खिलते हुए गुलाब की तरह महकाते हो घर को मेरे।
तुम बसंत मेरे .. मैं मुरझायी-सी कली हूँ टूटकर तुम मुझे बिखरने ना देना बिना तेरे मैं तुम बसंत मेरे .. मैं मुरझायी-सी कली हूँ टूटकर तुम मुझे बिखरने ना देना ब...
मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कराहट की खातिर मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कर...
साथ तेरा है नहीं, खुद से ही मैं नाराज़ हूँ अपने ज़ख्मों की, मै खुद ही आवाज़ हूँ लफ्ज़ तो हैं मेरे, पास प... साथ तेरा है नहीं, खुद से ही मैं नाराज़ हूँ अपने ज़ख्मों की, मै खुद ही आवाज़ हूँ लफ्...
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,